मेरी कहानी, मेरी जुबानी #
Tuesday 30 January 2024
क्या हर समय अपने आप को व्यस्त रखना उचित है?
Tuesday 2 January 2024
Good Quality Food & Human Aim
For increasing apetite
Aaj aapko bata rahe hain bhookh ke baare me.
Jab physical kaam karenge to toxins niklenge. (But Physical kaam karne ke liye aur Toxins nikalne ke liye taakat(oorja) chahiye.)
After all Body me jitni taakat hai usko badhana hoga, taakat badhaane ke liye acchi aur gahri neend ki jaroorat hai.
Aur acchi aur gahri neend ke liye man shaant ho, vichaar kam se kam hon(na +ve na -ve vichar hon). Man me bhootkaal ki peeda, vartmaan se virodh aur bhavishya ki chinta naa ho, tab aati hai gahri neend...
Uske baad khaaya hua khaane acche se digest hota hai aur phir lagti hai acche se "bhookh". Aap bhi jante ho ki koi dawa ya syrup se bhookh nahi lagegi even medicine bhi properly digest nahi hogi, jaise suppose 100mg dawa li, but oorja kam hai to 30 ya 60 mg hi digest ho pYegi.
samajhne ke liye thoda gahraai se dhyan dena padega. Is msg ko kam se kam 2-3 bar padhen jisse iske peeche man me jo chitran bana hoga, wo apko bhi dikhaayi dega. Chitran banne ke baad hi insaan ko samne wale ki bat ka sahi uddeshya samajh aata hai aur wahi apna bhi uddeshya hai aisa samajh me aata hai.
Monday 13 November 2023
स्वस्थ्य रहने के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है?
प्रिय मित्रों सादर नमस्कार,
हमको इस विषय पर गंभीर रूप से सोचना चाहिये की स्वस्थ्य रहने के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है?
1. *सकारात्मक सोच*
2. *योग* और *ध्यान*
3. *खुशहाल जिंदगी*
या
*कुछ और*
*सकारात्मक सोच* - समाज में कुछ लोग सिर्फ सकारात्मक सोच पर बात करते हैं, इसके लिए आपसे पैसे भी लेते हैं। आपको अच्छे से जानकारी देते हैं, आप कुछ दिन अच्छा महसूस करते हैं और फिर अपनी उसी जिंदगी की भागदौड़ में सब कुछ भूल जाते हैं।
2. *योग और ध्यान* - इसमें कोई दो राय नहीं जबसे बाबा रामदेव जी ने जबसे योग सिखाया है, बहुत लोगों को स्वस्थ्य में फायदा हुआ। लेकिन कितने %लोग इसका लाभ उठा पा रहे हैं। काम की व्यस्तता में आधे से ज्यादा लोग योग छोड़ देते हैं और फिर बीमार पड़ जाते हैं।
*ध्यान*- ध्यान (meditaion) क्या है? भारत में बहुत ही कम लोग हैं जो ध्यान को समय देते होंगे। जब हम योग, प्राणायाम करते हैं, उसमे भी थोडा बहुत ध्यान होता है इसीलिए हमारी बीमारियां ठीक होती हैं।
3. *खुशहाल जिंदगी(happiness)* - लोग इसका भी धंधा करते हैं, जब आपको ख़ुशी, प्यार सब कुछ आज कल पैसे से ही मिलता है, तब आप क्यों नहीं लालच करोगे पैसे का। इसी लिए बाँकी सब चीज़ों से ज्यादा महत्वपूर्ण पैसा हो गया है।
4. *विषमुक्त भोजन* - 1960 तक हर कोई विषमुक्त भोजन ही करता था, उस वक़्त बीमारियां कम थीं, परंतु थीं क्योंकि विषमुक्त भोजन के अलावा भी कई चीज़ें हमारे स्वस्थ्य पर असर डालती हैं, जिनके बारे में हमने ऊपर चर्चा की है।
परंतु मैंने देखा जब मैं happiness ग्रुप के लोगों से जुड़ा तब वहां लोग सिर्फ ख़ुशी देने की बात करते हैं।
जब मैं खेती वाले ग्रुप से जुड़ा तो सिर्फ खेती की बातें होती हैं। परंतु कहते हैं की ये मेरा परिवार है, तो परिवार में तो हर तरह की समस्या आएगी लेकिन आप अपनी अलग अलग समस्यायों के लिए अलग अलग परिवार से संपर्क करो, ये कैसा परिवार है भाई। इंसान को तो हर चीज़ की बराबर जरुरत है।
इंसान को ख़ुशी भी चाहिए, योग की भी जानकारी चाहिए, अच्छे रिश्ते भी चाहिए, विषमुक्त भोजन भी चाहिए, और बीमार पड़े तो परिवार की मदद भी चाहिए।
क्या कोई परिवार बन सकता है ऐसा whats app पर? मुझे तो नहीं लगता। ऐसा सिर्फ गाँव में ही हो सकता है। जहाँ ख़ुशी, शिक्षा, भोजन, पानी, प्यार सब मुफ़्त में मिले वहीँ ऐसा परिवार बन सकता है। वरना इस सबका विकल्प नौकरी(गुलामी) ही है। देश में छोटे उद्योग कभी भी सफल नहीं हो सकते।