Tuesday 30 January 2024

क्या हर समय अपने आप को व्यस्त रखना उचित है?

कहते हैं की खाली नही बैठना चाहिए। इसको ऐसे भी कह सकते हैं कि हर समय कुछ ना कुछ कर्म करते रहना चाहिए। पर क्या यह उचित है?

क्योंकि हम पूरी तरह से समझे हुए नही हैं, जब समझे नहीं हैं, तो जो कर्म करेंगे वह जरूरी नहीं है कि सही ही करें। अब अनजाने में गलत कर्म हुआ तो प्रकृति का नियम है की उसका फल मिलेगा ही। मतलब गलत बीज बो दिया तो उसका पेड़ तो बनेगा ही।

पर जो लोग साथ ही साथ अच्छे कर्म भी करते रहते हैं तो अच्छा फल भी मिलता ही रहता है। 

इसलिए आज कल व्यक्ति परेशान होता है, फिर खुश होता है। बार बार दुखी, बार बार सुखी होता है व्यक्ति।
लेकिन कहीं भी आगे पहुंचता नही है व्यक्ति समझ के मामले में। पैसे के मामले में आगे बढ़ता दिखाई देता है, पर वो पैसा तो इसी धरती का है, और इसी धरती पर छोड़कर चला जाता है।

जीवन के अंत तक मनुष्य ज्ञान आनंद प्रेम को प्राप्त नहीं कर पाता, फिर दुखी रहकर ही जीवन इस शरीर को छोड़ कर फिर नए शरीर की तैयारी करता है। और जिस धरती को इतना प्रदूषित किया फिर उसी धरती पर जन्म लेता है और अपनी यात्रा शुरुआत करता है।

Tuesday 2 January 2024

Good Quality Food & Human Aim

Is topic par discussion kar sakte hain aaj ya kal me.......

Khaana jitna accha hoga, utni jaldi digest hokar shareer me lag jayega, uske baad shuru hota hai aatma ka main kaam, jiske liye hamko shareer mila hai.

Isliye khaana bas shareer chalane ke liye hai. Lekin khaana nashe ka kaam bhi karta hai, jab tak indriyaan hamare vash me nahi hain, tab tak hamko nashe ko chodhna theek nahi hai. Warna society ke sath jee nahi paogi, society wale bolenge ki aj kal bahut duble lag rhe ho etc.

In sabke upar detail me ek blog likhkar kabhi banaunga 

Last topic - physical activity jaise Sasural ke kaam, koodne ya bhagne waale khel, dance ya jo bhi 2-3 hobbies hon.

For increasing apetite

Aaj aapko bata rahe hain bhookh ke baare me. 

Jab physical kaam karenge to toxins niklenge. (But Physical kaam karne ke liye aur Toxins nikalne ke liye taakat(oorja) chahiye.)

After all Body me jitni taakat hai usko badhana hoga, taakat badhaane ke liye acchi aur gahri neend ki jaroorat hai. 

Aur acchi aur gahri neend ke liye man shaant ho, vichaar kam se kam hon(na +ve na -ve vichar hon). Man me bhootkaal ki peeda, vartmaan se virodh aur bhavishya ki chinta naa ho, tab aati hai gahri neend...


Uske baad khaaya hua khaane acche se digest hota hai aur phir lagti hai acche se "bhookh". Aap bhi jante ho ki koi dawa ya syrup se bhookh nahi lagegi even medicine bhi properly digest nahi hogi, jaise suppose 100mg dawa li, but oorja kam hai to 30 ya 60 mg hi digest ho pYegi. 

samajhne ke liye thoda gahraai se dhyan dena padega. Is msg ko kam se kam 2-3 bar padhen jisse iske peeche man me jo chitran bana hoga, wo apko bhi dikhaayi dega. Chitran banne ke baad hi insaan ko samne wale ki bat ka sahi uddeshya samajh aata hai aur wahi apna bhi uddeshya hai aisa samajh me aata hai.

Monday 13 November 2023

स्वस्थ्य रहने के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है?

 प्रिय मित्रों सादर नमस्कार,


हमको इस विषय पर गंभीर रूप से सोचना चाहिये की स्वस्थ्य रहने के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है?


1. *सकारात्मक सोच*
2. *योग* और *ध्यान*
3. *खुशहाल जिंदगी*
या
*कुछ और*

*सकारात्मक सोच* - समाज में कुछ लोग सिर्फ सकारात्मक सोच पर बात करते हैं, इसके लिए आपसे पैसे भी लेते हैं। आपको अच्छे से जानकारी देते हैं, आप कुछ दिन अच्छा महसूस करते हैं और फिर अपनी उसी जिंदगी की भागदौड़ में सब कुछ भूल जाते हैं।

2. *योग और ध्यान* - इसमें कोई दो राय नहीं जबसे बाबा रामदेव जी ने जबसे योग सिखाया है, बहुत लोगों को स्वस्थ्य में फायदा हुआ। लेकिन कितने %लोग इसका लाभ उठा पा रहे हैं। काम की व्यस्तता में आधे से ज्यादा लोग योग छोड़ देते हैं और फिर बीमार पड़ जाते हैं।
*ध्यान*- ध्यान (meditaion) क्या है? भारत में बहुत ही कम लोग हैं जो ध्यान को समय देते होंगे। जब हम योग, प्राणायाम करते हैं, उसमे भी थोडा बहुत ध्यान होता है इसीलिए हमारी बीमारियां ठीक होती हैं।
3. *खुशहाल जिंदगी(happiness)* - लोग इसका भी धंधा करते हैं, जब आपको ख़ुशी, प्यार सब कुछ आज कल पैसे से ही मिलता है, तब आप क्यों नहीं लालच करोगे पैसे का। इसी लिए बाँकी सब चीज़ों से ज्यादा महत्वपूर्ण पैसा हो गया है।
4. *विषमुक्त भोजन* - 1960 तक हर कोई विषमुक्त भोजन ही करता था, उस वक़्त बीमारियां कम थीं, परंतु थीं क्योंकि विषमुक्त भोजन के अलावा भी कई चीज़ें हमारे स्वस्थ्य पर असर डालती हैं, जिनके बारे में हमने ऊपर चर्चा की है।
परंतु मैंने देखा जब मैं happiness ग्रुप के लोगों से जुड़ा तब वहां लोग सिर्फ ख़ुशी देने की बात करते हैं।
जब मैं खेती वाले ग्रुप से जुड़ा तो सिर्फ खेती की बातें होती हैं। परंतु कहते हैं की ये मेरा परिवार है, तो परिवार में तो हर तरह की समस्या आएगी लेकिन आप अपनी अलग अलग समस्यायों के लिए अलग अलग परिवार से संपर्क करो, ये कैसा परिवार है भाई। इंसान को तो हर चीज़ की बराबर जरुरत है।

इंसान को ख़ुशी भी चाहिए, योग की भी जानकारी चाहिए, अच्छे रिश्ते भी चाहिए, विषमुक्त भोजन भी चाहिए, और बीमार पड़े तो परिवार की मदद भी चाहिए।
क्या कोई परिवार बन सकता है ऐसा whats app पर? मुझे तो नहीं लगता। ऐसा सिर्फ गाँव में ही हो सकता है। जहाँ ख़ुशी, शिक्षा, भोजन, पानी, प्यार सब मुफ़्त में मिले वहीँ ऐसा परिवार बन सकता है। वरना इस सबका विकल्प नौकरी(गुलामी) ही है। देश में छोटे उद्योग कभी भी सफल नहीं हो सकते।